नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता :-
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कितनी अजीब बात है ना कि आज के इस नवनिर्माण युग में शिक्षा का स्तर भी अपनी चरम सीमा पर है और ऐसे में ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ कर अपने भविष्य को उज्जवल बनाना चाहते हैं BEST TOURIST PLACES IN INDIA | HISTORY IN INDIA | TOURIST PLACES IN INDIA | HISTORICAL PLACES IN THE INDIA | INDIA LANDMARK | HISTORIC PLACES और विद्यार्थी अच्छे से पढ़ने हेतु अपने लिए कई नियम बनाते हैं और उन नियमों का पालन करते हैं विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़कर अपने ज्ञान को और ऊंचे स्तर पर ले जाना चाहते हैं यही कारण है कि बड़े से बड़े तौर पर स्कूलों में कॉलेज में और यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरी की व्यवस्था की जाती है परंतु कुछ ऐसे विद्यार्थी होते हैं जो इस लाइब्रेरी का इस्तेमाल उस समय नहीं कर पाते हैं जब उन्हें जरूरत होती है कारण कई हो सकते हैं ऐसा करने के लिए जैसे कम फंड होना समय न मिल पाना इन्हीं कुछ कारणों को देखते हुए सरकार ने हर राज्य में एक नेशनल लाइब्रेरी को व्यवस्थापक रूप से तैनात किया है ऐसे ही कुछ राज्यों में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता भी शुमार है कोलकाता की यह नेशनल लाइब्रेरी दिखने में महल जैसी लगती है यहां पर की गई नक्काशी और शिल्पकारी बेहद खूबसूरत है परंतु इस लाइब्रेरी के रहस्य भी इसी की तरह विचार का विषय बने हुए हैं ऐसा किस लिए है आइए जानते हैं इस लाइब्रेरी के रहस्यों के बारे में
नोट :-
एक समय था जब भारत में मुगलों का साम्राज्य था वह ऐसा समय था जब अंग्रेजों ने यहां पर बसना प्रारंभ कर दिया था बंगाल मैं एक मुगल नवाब मीर जफर का स्थापत्य साम्राज्य था लगभग 1760 ईसवी में नवाब जफर ने कई इमारतें बनवाई उनमें से एक बेल्वेदिर हाउस था इस बेल्वेदिर हाउस में अब कोलकाता की नेशनल लाइब्रेरी स्थापित है इसी कारण इसे नेशनल लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता है इस लाइब्रेरी की एक खासियत है कि इस लाइब्रेरी में आज भी अपनी पुस्तकों के रखरखाव का आश्चर्य प्रतीक देखने को मिलता है परंतु ना जाने क्यों यहां पर आज भी लोग ठहरने से डरते हैं और सिक्योरिटी गार्ड तो यहां पर रात में भटकना भी नहीं पसंद करते हैं चौकीदारों की मानें तो उनका मानना है कि रात में इस लाइब्रेरी में अनसुनी और डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं ऐसा किस कारणवश होता है यह आज भी रहस्य बना हुआ है |
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नेशनल लाइब्रेरी का इतिहास :-
कोलकाता भारत की इस खूबसूरत इमारत का शिलान्यास 1760 ईसवी के अंदर ही हुआ था यह लाइब्रेरी बेल्वेदिर हाउस के अंदर ही बनाई गई है जिसे मीर जफर जी ने बनवाया था मीर जफर ने भारत के पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड होस्टिंग को तोहफे में इस हाउस को दिया था |
नेशनल लाइब्रेरी के खास तथा रोचक तथ्य :-
स्वतंत्र भारत के बाद इस लाइब्रेरी को जब मरम्मत करने के लिए खोला गया तो यहां पर लगभग 1000 फीट लंबा कमरा मिला जो पूरी तरह से बंद है इसके अंदर आज भी कोई नहीं गया कहते हैं लाइब्रेरी के इस कमरे में अंग्रेजों का खजाना था और इस कमरे को दुश्मनों से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता था और और इस कमरे को 200 साल से नहीं खोला गया है शायद यह लाइब्रेरी लगभग 250 वर्ष पुरानी है इस कमरे को पहले के लोग टॉर्चर रूम की तरह भी इस्तेमाल करते थे इस लाइब्रेरी का निर्माण श्री द्वारका नाथ ठाकुर जी के द्वारा हुआ था |
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अनसुलझे रहस्य :-
पहले जब भारत स्वतंत्र नहीं था तो अंग्रेजों के शासन के समय लॉर्ड मैकाले ( गवर्नर जनरल ) की पत्नी थी जो यहां पर किताबों का रखरखाव किया करती थी उनकी आत्मा आज भी यहां पर भ्रमण करती है कहते हैं इस लाइब्रेरी के निर्माण के वक्त यहां पर अचानक से 12 मजदूरों की मृत्यु हो गई थी अननेचुरल डेथ होने के कारण इन मजदूरों की आत्मा आज भी यहां पर विचरण करती है कुछ स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि यहां पर एक स्टूडेंट इंग्लैंड से और एक स्टूडेंट बंगाल से आया था जो अपनी पीएचडी की thesis पूरी करने आए थे परंतु इससे पहले कि उनकी thesis पूरी हो पाती उनकी अकाल मृत्यु ने सबको चौंका दिया था जिसका पता आज भी विचार का संशय बना हुआ है और उनकी आत्मा आज भी विचरण करती है इसी कारण आज भी यहां पर गार्ड रात्रि में ठहरने से डरते हैं आज भी स्थानीय लोगों के अनुसार यहां पर अजीबोगरीब आवाज , डरावनी आवाजें और और अनसुलझी आकृति देखी जाती है ।
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Warning (वार्निंग) :-
यह लाइब्रेरी इतनी खूबसूरत है कि इसका दीदार करना बहुत जरूरी होता है और यहां पर अनेक प्रकार की किताबें आसानी से मिल जाती हैं परंतु हम आपसे यह कहना चाहते हैं कि इस विचित्र इमारत का दीदार करने यहां पर जरूर आएं और यहां की किताबों को जरूर पढ़ें परंतु आने से पहले इस लाइब्रेरी के विषय में पूरी जानकारी करने के पश्चात ही यहां जाएं ।
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