Tuesday, April 28, 2020

Narsimbha Ready | HISTORY IN INDIA

नरसिम्हा रेड्डी :-




Real Uyyalawada Narasimha Reddy - tollywood
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दोस्तों आज हम बात करेंगे भारत के एक ऐसे वीर सपूत के बारे में जिन्होंने अकेले ही विदेशी आक्रमणकारियों ( ब्रिटिश साम्राज्य ) के नाक में दम कर के रख दिया था , भारत की इस पावन भूमि पर अपनी अंतिम सांस लेने तक लड़ते रहे तथा भारतीयों पर होने वाले सभी अत्याचारों का विरोध करते रहे दोस्तों आज भी जब भारत के स्वतंत्रता के विषय में चर्चा होती है तो सबसे पहले लोग उनका ही नाम लेते हैं किंतु आधे से ज्यादा लोगों को उनके विषय में जानकारी ही नहीं है जी हां आज हम बात करने वाले हैं BEST TOURIST PLACES IN INDIA | HISTORY IN INDIA | TOURIST PLACES IN INDIA | HISTORICAL PLACES IN THE INDIA  | INDIA  LANDMARK | HISTORIC PLACES नरसिम्हा  रेड्डी जी के बारे में जिन्होंने  विदेशी हुकूमत ( ब्रिटिश साम्राज्य  ) के खिलाफ विद्रोह छेड़ा और पहले स्वतंत्रता सेनानी  का दायित्व निभाया आइए इनके द्वारा निभाए हुए दायित्वों के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हैं 



नरसिम्हा रेड्डी जी का जन्म :-

भारतवर्ष में  जन्म लेने वाले इस वीर सपूत  का पूरा नाम Uyyalawada नरसिम्हा रेड्डी है और इनका जन्म 24 नवंबर 1806 ईसवी मैं Rupanagudi village के  Kurnool क्षेत्र ( आंध्र प्रदेश ) में हुआ था इनके पिता का नाम मल्ला रेड्डी तथा माता का नाम सीतम्मा था इनकी मृत्यु 22 फरवरी 1847 ईसवी मैं हुई  इनकी मृत्यु के समय यह महज 42 वर्ष के थे 




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विद्रोह का कारण :-


ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने पाव धीरे धीरे पूरे समस्त भारत में फैला लिया था  तथा राजा महाराजा और जमीदारों तथा किसानों को छल और कपट से उनकी जमीन उनकी रियासतें अपने नाम करा रहे थे धीरे-धीरे उन्होंने मद्रास प्रेसिडेंसी जो आज के समय में आंध्र प्रदेश के नाम से जाना जाता है उसे भी अपने हिस्से में कर लिया तथा उस समय उन्होंने रैयतवाड़ी व्यवस्था को प्रचलन में लाया इस व्यवस्था के कारण अंग्रेज कर के रूप में अधिक पैसा बनाते थे तथा इस व्यवस्था में अंग्रेजों ने मासूम किसानों से सौदा किया था इस सौदे में किसानों को कर देना था यदि किसी भी वर्ष किसान कर देने में असमर्थ रहे तो अंग्रेज उनकी जमीनों पर अधिकार कर लेते थे कुछ समय उपरांत सन 1820 में इस व्यवस्था को पूरे मद्रास में लागू कर दिया गया जब  किसानों की जमीनों पर अंग्रेज अधिकार करने लगे तो अंग्रेजों से तंग आकर के किसान आत्महत्या करने लगे , तब इस विषय के बारे में नरसिम्हा रेड्डी जी को पता चला तो उन्होंने इस व्यवस्था का खुलकर विरोध किया तथा अंग्रेजों से लोहा लेने का ठान लिया|


और अंग्रेजों तथा नरसिम्हा रेड्डी जीके बीच युद्ध का बिगुल बज गया और एक घमासान युद्ध हुआ जिस युद्ध में नरसिम्हा रेड्डी जी का 5000 किसानों ने समर्थन किया तथा उनका साथ दिया और इनकी वीरता को देख कर के पूरे भारतवर्ष में मानो एक क्रांति सी आ गई जिसके वजह से पूरे देश के किसानों ने उनका पूर्ण रूप से समर्थन किया अंग्रेजों ने उनकी वीरता तथा  प्रसिद्धि को देख कर के उनको जान से मारने की सोची 


नरसिम्हा रेड्डी जी की मृत्यु :-



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नरसिम्हा जी  के 1000 साथियों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया तथा 130 साथियों को मौत की सजा सुनाई जिसमें नरसिम्हा रेड्डी जी का नाम भी शामिल था कुछ समय बाद उनको चारों तरफ से घेर  लिया और उन 130 लोगों को दर्दनाक मौत दी तथा इनको सरेआम फांसी देने की सजा दी जिसके वजह से प्रजा में कोई भी अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह ना कर सके 22 फरवरी सन्न 1847 में इन को सरेआम फांसी दी उस समय भी इन्होंने ब्रिटिश आर्मी के एक कमांडर तथा 3 सैनिकों के सर धड़ से अलग करके ही मृत्यु को गले लगाया




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नोट :-

दोस्तों नरसिम्हा रेड्डी जी पहले वीर स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति छेड़ी उनके जीवन पर आधारित साउथ इंडस्ट्री द्वारा निर्मित एक फिल्म भी है जिसका नाम Sye Raa Narasimha Reddy है जिसमें चिरंजीवी ने नरसिम्हा रेड्डी जी का किरदार निभाया है |

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2 comments:

  1. बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं जिससे हमारे वीरों की की गाथा लोगों तक पहुंच रही हैं आप ऐसे ही यह कार्य करते रहे। हमारी शुभकामनाएं

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