राणा कुंभा महल :-
Source: Google
महल का इतिहास :-
राजस्थान एक बेहद खूबसूरत राज्य है इसकी सभ्यता संस्कृति प्राचीन समय से अद्भुत और अविस्मरणीय है राजस्थान अपनी मेहमान नवाजी सभ्यता के लिए मशहूर है राजस्थान यात्रियों लिए अत्यंत जिज्ञासा पूर्ण क्षेत्र है यह राज्य इन सभ्यताओं के आधार पर अपनी अलग ही कहानी कहता है BEST TOURIST PLACES IN INDIA | HISTORY IN INDIA | TOURIST PLACES IN INDIA | HISTORICAL PLACES IN THE INDIA | INDIA LANDMARK | HISTORIC PLACES राजस्थान अपनी रजवाड़ी सभ्यता और यहां पर बनी भवनों और इमारतों के कारण भी प्रचलन में है यहां कि ज्यादा से ज्यादा इमारतें किले भवन महल और रजवाड़े परिवार प्राचीन काल से पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही है और अपनी कलाकृतियों सभ्यता बनावटओं की वजह से मशहूर है इन्हीं में से एक राणा कुंभा महल है
महाराणा कुंभा का असली नाम कुंभकरण था जो कि हिंदू संस्कृति के अनेक धर्मों में से एक राजपूत शासक थे इनका पर बहुत ऊंचा स्थान था अपने समय में यह बेहद अच्छे शासक थे और स्वतंत्रता सेनानी भी थे महाराणा कुंभा चित्तौड़गढ़ के दुर्ग के आधुनिक निर्माता थे इस महल का निर्माण आधुनिक समय में कराया गया था |
महल में महाराणा की शासन अवधी सन 1433 से 1468 तक का था इस महल में महाराणा का राज्य अभिषेक सन 1433 में हुआ था इनके पिता का नाम राणा मोकल सिसोदिया राजपूत राजवंश था और माता का नाम सौभाग्य देवी था
महाराजा कुंभा की मृत्यु :-
महाराणा कुंभा या महाराज कुंभकरण की मृत्यु 1468 में हुई थी
महाराजा कुंभा की उपलब्धियां :-
कहने के लिए तो बहुत से राजपूत शासन के प्रतापी राजा हुए हैं परंतु उनमें से एक महाराणा कुंभा जी भी है महाराणा कुंभा जो कि एक बेहद प्रतापी शासक थे इनके पिता महाराणा मोकल की मृत्यु के पश्चात 1433 ईस्वी में राज सिहासन पर महाराणा कुंभा बैठे तब इनकी उम्र 16 वर्ष थी इतनी कम वर्ष में भी इन की उपलब्धियां स्मरण करने योग्य हैं इन्हीं में से कुछ उपलब्धियां हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं
- बूंदी विजय अभियान
- गागरोन विजय अभियान
- सरोहि विजय अभियान
- वागड़ पर विजय
- मेरो का दमन
चित्तौड़गढ़ के किले का रहस्य :-
इस किले के विषय में वैसे तो बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं इन कहानियों में से कुछ ऐसी हैं जिनमें से वीर गाथाएं हैं कुछ ऐसे भी हैं जिन से डर और रहस्य का पता चलता है चित्तौड़गढ़ के किले के आसपास रहने वाले गांव के लोग बताते हैं कि यहां पर इस किले के भीतर शाम और मध्य रात्रि को औरतों और बच्चों के रोने तथा कोलाहल की आवाज सुनाई देती है परंतु कुछ लोग गांव वालों की इन बातों को मिथ्या बताते हैं उन सभी को लग रहा था कि यह सब बातें सिर्फ बातें ही हैं और अफवाह है जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला यहां पर महारानी पद्मिनी जी के साथ लगभग 7000 दसियों ने जौहर किया था जिस जौहर कुंड में महारानी पद्मिनी और उनकी दसियों ने जौहर किया था उन सब ने जिन परिस्थितियों और हालात मैं जौहर किया था वह कुछ इस प्रकार के थे की महारानी और उनकी दशियों के पास जोहर करने के अलावा कोई मार्ग शेष नहीं था उस समय स्त्री अपना मान अपना सम्मान बचाने के लिए जोहर करना उचित समझती थी यही कारण है कि यहां इस जौहर कुंड में इतनी बड़ी संख्या में महारानी पद्मिनी और उनकी राशियों ने एक साथ जोहर किया यह सोचने योग्य बात है कि सदियों तक उनकी इस वीरगाथा की कहानी प्रचलन में रहेगी यह अपने आप में वीरांगनाओं की कहानी है इसी वजह से यहां पर ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं |
Source: Google
No comments:
Post a Comment